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रघुपति राघव राजा राम देश बचा गए नाथू राम

मुक्त सत्य
मुक्त सत्य
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nathuram godse यदि किसी से भी पूछा जाय की बीसवीं शताब्दी की भारत की सबसे बड़ी त्रासदी क्या थी तो निश्चय ही उत्तर होगा भारत विभाजन तो फिर इस त्रासदी की पुनरावृत्ति रोकने वाले हुतात्मा नाथूराम गोडसे सबसे बड़े महापुरुष क्यूँ नहीं ?? चलिए माना की महापुरुषों की… आपस में तुलना नहीं हो सकती है परन्तु पुस्तकों में उसका नाम सम्मान के भी साथ न लिया जाना जिसके कारण आज पंजाब , हरियाणा और हिमांचल भारत का अंग है , यह तो उस महानायक के साथ कृतघ्नता है | सत्ताओं को उनसे इतना भय है की उनके नाम की चर्चा भी नहीं होने देना चाहती है सत्ताएं क्यूँकी पता है की अगर चर्चाएँ प्रारंभ हुईं तो प्रश्न उठेंगे , प्रश्न उठे तो उनके उत्तर खोजे जायेंगे और अगर उत्तर खोजे गए तो कई कथित महापुरुषों और कथित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चेहरों से मुखौटे भी उतर जायेंगे |


कुछ लोग कहेंगे की ये मात्र एक कल्पना है की M K गाँधी देश का दूसरा विभाजन करवाना चाहते थे | देश का दूसरा विभाजन नहीं हो सकता था , गाँधी देश भक्त थे और भी दुसरे नेता थे वो ऐसा नहीं होने देते और गोडसे ने गाँधी का वध करके गलत किया | ऐसा कहने वाले लोगों को इस बात का उत्तर देना चाहिए की अगर गोडसे ने भारत विभाजन से पहले गाँधी वध कर दिया होता तो क्या होता ? यद्यपि भारत का विभाजन तो रुक जाता परन्तु उस समय गाँधी समर्थकों के तर्क होते की बापू कैसे देश का विभाजन करवा सकते थे , वो तो देश भक्त थे और भी इसी तरह के कई कुतर्क होते उस स्थिति में गाँधी समर्थकों के पास और उसी तरह के कुतर्क गाँधी के समर्थक इस पोस्ट पर भी कर सकते है | जो गाँधी एक बार पुरे देश को धोखा देकर विभाजन करवा सकता है वह दोबारा क्यूँ नहीं कर सकता है ऐसा ? संघ से गाँधी ने कहा था की भारत का विभाजन मेरी लाश पर ही होगा परन्तु गाँधी ने देश का विभाजन करवा कर ३ लाख हिन्दुओं की लाशों पर चढ़ कर राष्ट्रपिता की उपाधि ले ली , क्या वह गाँधी पुनः २ या ४ लाख हिन्दुओं की लाशें गिराने में संकोच करता ?निश्चय ही गांधीवादियों को पास इन प्रश्नों के कोई तार्किक उत्तर तो होंगे ही नहीं हाँ वो कुतर्कों की श्रंखला अवश्य कड़ी कर सकते हैं |

यह बात तो सबको पता है की गाँधी वध जब किया गया तो उस समय M K गाँधी पकिस्तान को 65 करोड़ रुपये देने की जिद पर अनशन पर बैठे हुए थे , परन्तु शायद कुछ लोगों को ये नहीं पता होगा की पकिस्तान उस समेत पूर्वी पकिस्तान और पश्चिमी पकिस्तान को जोड़ने के लिए गलियारा मांग रहा था जो की 10 मील चौड़ा हो और दिल्ली के निकट से जाता हो | M K गाँधी के तब तक के मुस्लिमों के सामने किये गए बेशर्म समर्पणओ की श्रंखला के आधार पर कोई भी ये कह सकता है की गाँधी का अगला अनशन पकिस्तान की इसी मांग के समर्थन में होने वाला था और जिसका सीधा परिणाम भारत का एक और विभाजन होता |भारत के हिस्से वाला पंजाब हरियाणा हिमांचल प्रदेश और आज की दिल्ली का अधिकांश हिस्सा पकिस्तान के पास चला गया होता और वहां के निवासी शरणार्थियों की भांति भारत में दीनता युक्त जीवन बिताने को बाध्य होते यदि M K गाँधी कुछ और समय तक जीवित रहा होता |

नाथूराम गोडसे वास्तव में एक सच्चे रामभक्त थे और राम के ही पग्चिन्हों पर चलते हुए उन्होंने गाँधी वध किया था | रामचरित मानस में पंक्तियाँ हैं –

अस्थि समूह देखि रघुराया। पूछी मुनिन्ह लागि अति दाया॥

जानतहूँ पूछिअ कस स्वामी। सबदरसी तुम्ह अंतरजामी॥

निसिचर निकर सकल मुनि खाए। सुनि रघुबीर नयन जल छाए॥

निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।|

अर्थात राम ने अस्थि समूह देख कर पूछा की ये किसकी अस्थियाँ हैं और जब मुनियों ने उनको बताया की की ये दैत्यों के द्वारा खाए गए ऋषियों की अस्थियाँ हैं तो राम ने प्राण लिया की मैं निशाचरों का वध करूँगा उसी भांति नाथूराम गोडसे ने जब पाकिस्तान से आये हुए हिन्दुओं की दीं दशा देखि और विचार करके यह पाया की इसका कारण M K गाँधी है तो राम पथ का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी यह प्राण किया की मैं गाँधी का वध करूँगा और 30 जनवरी को यह राम कार्य संपन्न भी किया | क्या राम कार्य करते हुए देश की जन भूमि और संस्कृति की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले नाथूराम गोडसे हमारे देश के बलिदानियों की सूचि में भी नहीं होने चाहिए ? हो सकता है की वो ऐसी किसी सरकारी सूचि में न हों परन्तु सच्चे विचारवान देशभक्तों और मंक़वता प्रेमियों के ह्रदय में उनका स्थान हमेशा अक्षुण रहेगा और ह्रदय से यही पंक्तियाँ निकलेंगी

रघुपति राघव राजा राम देश बचा गए नाथू राम

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